लेखनी कविता -31-Jul-2024
शीर्षक - सांस्कृतिक विरासत
दैनिक काव्य प्रतियोगिता दिनांक ३१-०७-२०२४ विधा - हिन्दी
सांस्कृतिक विरासत ही तो हमारी हैं। धरोहर हम सभी अपनी समझते हैं। यही सांस्कृतिक विरासत इतिहास हैं। सच और सही हम सभी जानते हैं। सांस्कृतिक विरासत ही सच होती हैं। आज और बीते कल की गाथा कहते हैं। इतिहास गवाह और कुदरत कहती हैं। सांस्कृतिक विरासत ही तो जीवन हैं हम सभी अपने बीते हुए पल सोचते हैं। सांस्कृतिक विरासत हमें बीते वर्ष कहतीं हैं। हम सभी सांस्कृतिक विरासत को देखते हैं। सच और हकीकत सांस्कृतिक विरासत हैं।
नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र